हम आजाद है कि .........................................
देश को आजाद हुये 66 वर्ष हो गये हैं, लेकिन अभी देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी दो समय का पोषण आाहर कमाकर खाने में असमर्थ हैं, उसके लिये खाद्य सुरक्षा बिल पास हुआ है। लगभग 35 प्रतिशत आबादी अत्यन्त गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। लगभग 50 प्रतिशत लोग अभी भी अशिक्षित हैं और उनमें से कुछ लोग शिक्षा के नाम पर केवल अपना नाम लिखना जानते हैं। देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी बेरोजगारी का दंश झेल रही है।
इसके बाद भी हम अपने को पूरी तरह आजाद मानते हैं। हमें पूरी आजादी है कि हम सरकारी नियम, कायदे कानून को न माने और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करें, गदंगी फैलाये , सड़क किनारे लघुशंका करें दिशा मैदान जाये लेकिन अपने घर में सेप्टीकटंेक का निर्माण न करें।
हमारे देश के कर्णधारों, नीतिनिर्धारकों, खेवनाहारों, नौकरशाह, ब्यूरोक्रेट, को आजादी है कि वह देश की जनता को मनमाने ढंग से लूटे, कोई भी काम बिना लेनदेन के न करें, और काम की कीमत अनुसार वसूली करें, हमें आजादी है कि हम आम जनता को जरूरत से ज्यादा तंग करें ताकि वह टेबिल के नीचे से दलाल मध्यस्थ के माध्यम से अधिक पैसा देकर काम करवायंे।
हमें आजादी है कि जितना वेतन, सुविधा, मानदेय, प्राप्त होता है, उसके अनुसार काम न करें। अपने कार्यालयीन समय में मोबाईल पर बात कर अपना और लोगों का समय बर्बाद करें। सरकारी काम की जगह व्यक्तिगत कार्य में समय बर्बाद करें। हमें आजादी के नाम पर हर वो गलत काम करवाने की आजादी है जो हमारे लिये लाभप्रद है।
हमें बिजली की चोरी की आजादी है, सरकारी जल, जंगल, जमीन हड़पने और अतिक्रमण करने की आजादी है। हमें रेत उत्खनन, खनिज चुराने की आजादी है।
हमें आजादी है कि हम यातायात नियमों का उल्लंघन कर सड़क पर बिना लायसेंस, परमिट, रजिस्टेªशन के वाहन चलाये तथा पकड़े जाने पर दमदार लोगों से फोन करवाकर दम पड़वाने की आजादी है। हमें आजादी है कि हम व्ही0आई0पी0 बनकर, व्यवस्था से हटकर, सभी नियम कानून तोड़कर अपना काम करवायें।
हमें आजादी है कि हम सरकारी संपत्ति अपने पिता की संपत्ति समझ कर उसे नष्ट करें, बर्बाद करें। हमें आजादी है कि हम राजा महाराजाओं द्वारा निर्मित किलें, मंदिर, ऐतिहासिक इमारतों को नष्ट करें, उन पर अपना प्यार कर इजहार कर उसे सार्वजनिक करें।
हमें आजादी है कि हम नकली दवा बेंचे, पेट्रोल में मिट्टी का तेल मिलाकर बेंचे, टैक्स चोरी करें तथा काम करवाने के बाद मजदूरी न दें, हमें पर्यावरण प्रदूषित करने की आजादी, मैच फिक्सिंग कर देश का तिरंगा लजाने की आजादी है।
देश के दुखहन्ताओं की आजादी है कि वह खेल, कफन, कोयला, तेल, तोप के नाम पर घपला और घोटाला करें। देश की जनता की लाखों करोड़ो की कमाई खा जावे और जनता को पूर्व की तरह भुखमरी के आधीन पराधीन रहने दें, उन्हें देश को दीमक की तरह खोखला करने की आजादी है।
हमारे देश के निर्माताओं को आजादी है कि वह देश की नीति निर्धारण संस्थाओं में लड़कर उसे अखाड़ा बनाये और देश की जनता की आर्थिक, सामजिक, राजनीतिक नीतियों, सुविधाओं के साथ दंगल करें तथा जनता को पूर्व की तरह मूल अधिकारों से वंचित करंें और एहसास कराये कि आजादी छीनने वाले चले गये लेकिन अपनी दमनकारी नीतियाॅ छोड़ गये।
हमारे विघ्नकर्ताओं को आजादी है कि सत्ता के मोह और लालच में, कुर्सी के लोभ और होड़ में पद की चाहत और प्यार में लालबत्ती की चाह और राह में आज जनता को जाति के नाम पर लड़वायें, धर्म के नाम पर दंगा फसाद करवायें, आतंक फैलाये, वोट के लिये नोट बांटे, धनबल, जनबल, गनबल, बाहुबल के आधार पर अभिमत प्राप्त करें।
हमें आजादी नहीं है कि हम पूर्व की तरह सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें। यदि आज हम पूर्व की तरह सरकार की कुनीतियों का का विरोध करते हैं तो हमें पहले की तरह लाठी पड़ती है। डन्डा खाने पड़ते हैं। झूठे मुकदमा झेलने पड़ते हैं। अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं। जेल की हवा खानी पड़ती है।
देश को आजाद हुए 66 साल हो गये हैं लेकिन हमें अशिक्षा की पराधीनता तंग नहीं करती। भुखमरी नहीं सताती है। असमानता नहीं रूलाती है। दण्ड व्यवस्था का खौफ नहीं तंगाता है इसे जो लोग आजादी मानते हैं, उन्हें मूल अधिकारों की चाहत नहीं है। देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, हृास की चिंता नहीं है।
अंग्रेजी दासता समाप्ती के बाद हमने मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखे थे कि हम अपने तौर-तरीके से देश चलायेंगे, लोगों को सम्मान प्राप्त होगा, मूल अधिकार प्राप्त होंगे, बुराईयों से स्वतंत्रता मिलेगी लेकिन आज हम ऐसी आजादी से सैकड़ों साल दूर हैं।
देश को आजाद हुये 66 वर्ष हो गये हैं, लेकिन अभी देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी दो समय का पोषण आाहर कमाकर खाने में असमर्थ हैं, उसके लिये खाद्य सुरक्षा बिल पास हुआ है। लगभग 35 प्रतिशत आबादी अत्यन्त गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। लगभग 50 प्रतिशत लोग अभी भी अशिक्षित हैं और उनमें से कुछ लोग शिक्षा के नाम पर केवल अपना नाम लिखना जानते हैं। देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी बेरोजगारी का दंश झेल रही है।
इसके बाद भी हम अपने को पूरी तरह आजाद मानते हैं। हमें पूरी आजादी है कि हम सरकारी नियम, कायदे कानून को न माने और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करें, गदंगी फैलाये , सड़क किनारे लघुशंका करें दिशा मैदान जाये लेकिन अपने घर में सेप्टीकटंेक का निर्माण न करें।
हमारे देश के कर्णधारों, नीतिनिर्धारकों, खेवनाहारों, नौकरशाह, ब्यूरोक्रेट, को आजादी है कि वह देश की जनता को मनमाने ढंग से लूटे, कोई भी काम बिना लेनदेन के न करें, और काम की कीमत अनुसार वसूली करें, हमें आजादी है कि हम आम जनता को जरूरत से ज्यादा तंग करें ताकि वह टेबिल के नीचे से दलाल मध्यस्थ के माध्यम से अधिक पैसा देकर काम करवायंे।
हमें आजादी है कि जितना वेतन, सुविधा, मानदेय, प्राप्त होता है, उसके अनुसार काम न करें। अपने कार्यालयीन समय में मोबाईल पर बात कर अपना और लोगों का समय बर्बाद करें। सरकारी काम की जगह व्यक्तिगत कार्य में समय बर्बाद करें। हमें आजादी के नाम पर हर वो गलत काम करवाने की आजादी है जो हमारे लिये लाभप्रद है।
हमें बिजली की चोरी की आजादी है, सरकारी जल, जंगल, जमीन हड़पने और अतिक्रमण करने की आजादी है। हमें रेत उत्खनन, खनिज चुराने की आजादी है।
हमें आजादी है कि हम यातायात नियमों का उल्लंघन कर सड़क पर बिना लायसेंस, परमिट, रजिस्टेªशन के वाहन चलाये तथा पकड़े जाने पर दमदार लोगों से फोन करवाकर दम पड़वाने की आजादी है। हमें आजादी है कि हम व्ही0आई0पी0 बनकर, व्यवस्था से हटकर, सभी नियम कानून तोड़कर अपना काम करवायें।
हमें आजादी है कि हम सरकारी संपत्ति अपने पिता की संपत्ति समझ कर उसे नष्ट करें, बर्बाद करें। हमें आजादी है कि हम राजा महाराजाओं द्वारा निर्मित किलें, मंदिर, ऐतिहासिक इमारतों को नष्ट करें, उन पर अपना प्यार कर इजहार कर उसे सार्वजनिक करें।
हमें आजादी है कि हम नकली दवा बेंचे, पेट्रोल में मिट्टी का तेल मिलाकर बेंचे, टैक्स चोरी करें तथा काम करवाने के बाद मजदूरी न दें, हमें पर्यावरण प्रदूषित करने की आजादी, मैच फिक्सिंग कर देश का तिरंगा लजाने की आजादी है।
देश के दुखहन्ताओं की आजादी है कि वह खेल, कफन, कोयला, तेल, तोप के नाम पर घपला और घोटाला करें। देश की जनता की लाखों करोड़ो की कमाई खा जावे और जनता को पूर्व की तरह भुखमरी के आधीन पराधीन रहने दें, उन्हें देश को दीमक की तरह खोखला करने की आजादी है।
हमारे देश के निर्माताओं को आजादी है कि वह देश की नीति निर्धारण संस्थाओं में लड़कर उसे अखाड़ा बनाये और देश की जनता की आर्थिक, सामजिक, राजनीतिक नीतियों, सुविधाओं के साथ दंगल करें तथा जनता को पूर्व की तरह मूल अधिकारों से वंचित करंें और एहसास कराये कि आजादी छीनने वाले चले गये लेकिन अपनी दमनकारी नीतियाॅ छोड़ गये।
हमारे विघ्नकर्ताओं को आजादी है कि सत्ता के मोह और लालच में, कुर्सी के लोभ और होड़ में पद की चाहत और प्यार में लालबत्ती की चाह और राह में आज जनता को जाति के नाम पर लड़वायें, धर्म के नाम पर दंगा फसाद करवायें, आतंक फैलाये, वोट के लिये नोट बांटे, धनबल, जनबल, गनबल, बाहुबल के आधार पर अभिमत प्राप्त करें।
हमें आजादी नहीं है कि हम पूर्व की तरह सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें। यदि आज हम पूर्व की तरह सरकार की कुनीतियों का का विरोध करते हैं तो हमें पहले की तरह लाठी पड़ती है। डन्डा खाने पड़ते हैं। झूठे मुकदमा झेलने पड़ते हैं। अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं। जेल की हवा खानी पड़ती है।
देश को आजाद हुए 66 साल हो गये हैं लेकिन हमें अशिक्षा की पराधीनता तंग नहीं करती। भुखमरी नहीं सताती है। असमानता नहीं रूलाती है। दण्ड व्यवस्था का खौफ नहीं तंगाता है इसे जो लोग आजादी मानते हैं, उन्हें मूल अधिकारों की चाहत नहीं है। देश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, हृास की चिंता नहीं है।
अंग्रेजी दासता समाप्ती के बाद हमने मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखे थे कि हम अपने तौर-तरीके से देश चलायेंगे, लोगों को सम्मान प्राप्त होगा, मूल अधिकार प्राप्त होंगे, बुराईयों से स्वतंत्रता मिलेगी लेकिन आज हम ऐसी आजादी से सैकड़ों साल दूर हैं।
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