Saturday, September 28, 2013

// उफान //


// उफान //

        हमारे देश में हर चीज उफान पर है । मंहगाई तूफान पर है । रूपये की अंर्ताराष्ट्र्ीय कीमत चढान पर है । पेट्र्ोल-डीजल की कीमते खौल रही हैं । खाने की वस्तु जला रही हैं । दूध, खाद्य तेल उबाल पर हैं । इन सब तूफानों के बीच देश का आम गरीब आदमी अपनी नैया पार करने की कोशिश कर रहा है ।
        देश में न्याय, शिक्षा, आहार, आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं मंहगी हैं।  शिक्षा पर मंहगाई का ग्रहण लगा है । लाखों रूपये आवश्यक कोर्स की कीमत है । अस्पताल के बिल, फाईव स्टार होटल के, केश मेमो की याद दिलाते हैं । दबाओं की कीमतें उफान पर हैं । जल, जंगल, जमीन की कीमतें, बिजली के बिल की तरह करंेट मारती है। एक आम वेतनभोगी के जिन्दगी भर के वेतन से ज्यादा अर्फोडेबल हाउस की कीमत है।
        देश में अशलीलता उफान पर है। सिनेमा, टी.व्ही सीरियल, चैनल, अश्लीलता, अंधविश्वास हमारे बेडरूम और डायनिंग टेबिल पर परोस रहे हैं। दिन मंे जो चैनल अंधविश्वास, भूतप्रेत, तंत्र-मंत्र जादू टोना का विरोध करतें हैं वहीं रात में लाखों करोडों रूपये का विज्ञापन प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। वे ढोंगी, पाखंडी, बाबाओं के निर्मल दर्शन कराते हैं । टोने टोटके, जादूटोने के नाम पर यंत्र बिकवाते हैं। श्री लक्ष्मीयंत्र धनवृद्वि ताबीज, कुबेर  कुंजी  बिकवाकर अपनी धनवृद्धि करते हैं। राम राज्य की आशा जगाकर अंधश्रद्धा का प्रचार करते हैं।
        देश में भ्रष्टाचार उबाल पर है। विकेन्द्रीकरण के कारण पंचायत, नगर पंचायत, नगरपालिका, नगरनिगम आदि स्वायत संस्थाएॅ भ्रष्टाचार का साधन और साध्य बन गई हंैं। आम जनता में विकास की सड़क एवं शिक्षा की रोशनी जगाने के नाम पर भ्रष्टाचार का नंगा नाच खेला जा रहा है।
        देश में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन चरमसीमा पर होने के कारण प्राकृतिक प्रकोप उफान पर है। प्राकृतिक प्रकोप के कारण उत्तरांचल में हजारों जाने गई, लाखों बर्बाद हो गये, करोंड़ों का नुकसान हो गया, लेकिन तब भी हम प्रकृति से छेड़-छाड़ करना बंद नहीं कर रहे हैं।
       


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