Sunday, July 7, 2013

‘गंगा‘ THE AUTO BIOGRAPHY OF GANGA


 THE AUTO BIOGRAPHY OF GANGA 
                            मैं आपकी पतित पावनी ‘गंगा‘ बहुत दुखी हंू। मेरा अमृतमय पानी प्रदूषितहोकर विषाक्त हो गया है, वह पीने लायक भी नहीं रह गया है। मुझमें जोऔषधिकारक गुण था, वह धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। मैं बीमारियों का घरबन गयी हॅंू। मेरे पानी के सेवन से अनके लोगों को हानि पहुंच सकती है।
                                इन सबकारणों से मैं बहुत दुखी हूं। मैं इस मृत्यु लोक में भगीरथी की कठिन तपस्या केकारण इस मरूभूमि को शुद्ध करने आयी थी, लेकिन यहां के निवासियों को शुद्धकरते -करते मैं खुद की अशुद्ध हो गयी हॅ। आज स्थिति यह हो गयी है कि मुझे
शुद्ध करने हेतु एक राष्टंीय स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। एक ‘गंगाविकास प्राधिकरण‘ की स्थापना की गयी है, जिसका उद्देश्य गंगा को प्रदूषण सेमुक्त करना हैं इस कार्य के लिए करोडों रूपये खर्च किये जा रहे है।
                                         मेरी इसदुर्दशा के लिए बहुत से लोग दोषी हैं, जिनमें मेरे भक्त भी बडी संख्या में शामिलहै।मेरा उदय हिमालय के पास गंगोत्री से हुआ है। बहुत दिनों से हिमालय केपाास वनों की अंधाधुंध कटाई की जाती रही है जिसके कारण पहाडी क्षेत्रों में बाढ
आती है उस बाढ से पेडों का मलबा बहकर नदी में जम जाता है। इस प्रकार जिसजगह से प्रारंभ होकर मैं सारे देश में बहती हूं,वहीं से मुझमें गंदगी समा जाती हैं

                                                मैं‘गंगोत्री‘ से ही प्रदूषण युक्त हो जाती हूं। इसके बाद मैं नीलधारा में नहरों के रूप्में बहती हूं। नहर के रूप में बहने के कारण मुझमें गंदगी छानने की प्राकृतिकक्षमता खत्म हो जाती है। गंदगी मेरी तलहटी में जमा हो जाती हैं इस तरह से पूरे
देश में अपनी में गंदगी समाये बहने लगती हूं।


                                       मैं अनेक नगरों में बहती हंू। मेरे तट पर लगभग 114 शहर बसे हुए हैंजिनमें 48 प्रथम श्रेणी के तथा 66 द्वितीय श्रेणी के नगर है। इन सब नगरों कीगंदगी नालियों का दूषित जल मुझमें बडे व छोटे नालों द्वारा गिराया जाता है ।

                                           आपको मेरी दुर्दशा का अन्दाजा इसी से हो जायेगा कि मुझमें गिरने वालेनदी-नालों की संख्या 16 हजार हो गयी है। जिसमें गंगोत्री से वाराणसी तक ही1611 गंदगी ने मुझे प्रदूषित कर दिया है।मेरे तट पर बसा हुआ कानपुर एक बहुत बडा औद्योगिक नगर है, जो अपने‘चमडा उद्योग के लिए जग प्रसिद्ध है। मुझमें लगभग 60 बडे चर्म उद्योग कारखानोंका कचरा आकर मिलता है।

                                                इस कचरे में क्रोमियम धातुकीअधिकता रहती है,जिसके कारण मेरा पानी दुर्गन्धयुक्त हो जाता है। उसमें कैंसर तथा चर्मरोग केजीवाणु पनपने लगते है। मेरे पानी को तो कानपुर के चमडा उद्योग ने एकदमविषक्त कर दिया है। आज मेरा यह हाल हो गया है कि जहां में पहले स्वास्थ्यलाभ पहुंचाती थी, आज वही हानिकारक सिद्ध हो रही हूं।

                                                 पूरे देश में मेरे किनारेबसे हुए लगभग पांच हजार छोटे-बडे उद्योग अपना रासायनिक पदार्थों युक्त कचरा
मुझमें बहाते हैं इन उद्योगों में मात्र 1966 के पास प्रदूषण नियंत्रण के संयत्र हैं,बाकी सब उद्योग मुझे प्रदषित कर रहे है।

                                        अपने पापों को धोने के लिए लाखों लोग रोज मुझमें स्नान करते हैं । मुझेभगवान की तरह पूजते है। इसके साथ ही मेरी किनारे पर मल-मूत्र का त्याग करमुझे दूषित भी करते हैं, और तो और मुझमें सारे शहर का मलयुक्त पानी भी बहादेते है। अकेले बाबा शिव की नगरी बनारस में मुझमें 20 करोड गैलन मलयुक्त
पानी गिराया जाता है।


                                               मेरे तट पर मनुष्य की लाशें जलाई जाती हैं प्रतिवर्ष तीस हजार लाशें मेरेकिनारे पर जलाई जाती हैं या बहा दी जाती हैं पहले मुझमें घडियाल, कछुए,मगरमच्छ, मछलियां आदि सारी गन्दगियां चाट जाते थें लेकिन जब से इनकासफाया कर दिया गया है, मैं अकेली रह गयी हूं मुझमें फैंके मुर्दे या जानवर बुरी
तरह सड जाते हैं और गिद्ध व कुत्ते आदि मेरे चारों ओर गन्दगी फैलाते रहतेहै।

                                                     मछुआरे मुझसे मछली लेकर पेट पालते हैं मगर वे भी अपनी सारी गन्दगी मंझमेंही डालकर मुझे प्रदूषित कर रहे है। धोबी भी मुझमें अपना सारा मैंल डाल जाते है।
मुझमें 70 हजार तीर्थयात्री प्रतिदिन अकेले बनारस में डुबकी लगाकर न जानेक्या-क्या बीमारियां छोड जाते है। मैं पाप धोने वाली गंगा अब गंदगी धोने वालीगंगा बन गयी हूं।

                                   सोर देश के लोगों ने मुझे प्रदूषित कर रखा है। सबसे ज्यादा 33प्रतिशत मुझे उत्तरप्रदेश के लोगों ने दूषित कर रखा है। इसके बाद पश्चिम बंगालने 27 प्रतिशत, बिहार ने 20 प्रतिशत प्रदूषित किया है।


                                         मेरी व्यथा सुनकर आज आप ही नहीं बल्कि सरकार भी द्रवित है जो मुझेप्रदूषण मुक्त करने के लिये जोर-शोर से अभियान चला रही है। आप यह सोच रहेहोंगे कि पवित्रता की देवी, पाप हरने वाली, भारत की आत्मा ‘गंगा‘ खुद क्योंप्रदषित हो गयी , तो इसका सीधा सा कारण है कि लोग मुझमें पाप धोने की
बजाये अपनी गन्दगी धोने में लग गये हैं ।

                                  आज मैं कितनी दुखी हूं, इस बात काअन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है। कि जो लोग ‘गंगा तेरा पानी अमृत‘कहकर सम्मान देते थे, वहीं आप मुझे ‘राम तेरी गंगा मैली‘ कहकर मेरा मजाकउडा रहे है।


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