Sunday, July 7, 2013

advance things आधुनकता का पवित्रीकरण

                          आधुनकता का पवित्रीकरण

                                               हमारे देश में सदा से रहा है कि जब भी कोई नई वस्तु आती है तो उसकाधार्मिक विरोध जरूर किया जाता है। प्रारंभ में गैस चूल्हे, टेलीविजन, कम्प्यूटर,केबिल टी.वी. आदि वैज्ञानिक साधनों का विरोध भारतीय सभ्यता-संस्कृति के कथित
ठेकेदारों द्वारा किया गया था।


                                        लेकिन आज जमाना बदल गया है। अब आधुनिकतम साधनों का धार्मिकरणहो गया है। मोबाइल फोन साधु-सन्तों की कमर में जनेऊ की तरह टंगे रहते हैं।उनके कमन्डल के अंदर लेपटॉप रखा होता है। टेलीविजन बिना उनके कार्यक्रमनहीं होते हैं। कम्प्यूटर पर प्रवचन, गीत, भजन के कार्यक्रम तैयार किये जाते है।इन्टरनेट पर वेबसाइट बनाई जाती है।


                                                       वे देश की सबसे आधुनिकतम गाडी में चलते हैं, जिसमें उनके खाने सेपखाने तक की सुविधाएं रहती हैं वे झोपडीनुमा ए.सी. रूम में रूकते हैं। उनकेलाखों-करोडों डालर के आश्रम, ध्यान केन्द्र, अध्यात्म केन्द्र, धार्मिक केन्द्र हैं जोआधुनिकतम साधनों से भरे पडे हैं। उनके लाखांे के आडियो-वीडियो कैसेट्स,प्रचार सामग्री बिकती है।


                                                     अब साधु-महाराजों का विदेशी तकनीक से कोई विरोध नहीं है। उनके द्वाराआधुनिकतम साधनों का पवित्रीकरण कर दिया गया है। अब साधु-संतों कामोबाइल, लेपटॉप, वेबसाइट, टी.वी. चैनल के बिना काम नहीं चल सकता है।

                                             उनकेद्वारा खुद को भगवान के रूप् में स्थापित कर आत्मा की शांति, मोक्ष प्राप्ति, पार कागंगाई शुद्धीकरण, ओम शांति ओम, योग से निरोग आदि आधुनिकतम कार्यक्रमचलाए जा रहे हैं, जिन्हें भक्तजनों को वेबसाइट, टेलीविजन, वीडियो कैसेट्स केमाध्यम से भी दिखाया जाता है।


                                                     देश में गंगा के शुद्धीकरण का कार्यक्रम चल रहा है और ये लोग गंगा सेलोगों को शुद्ध करना चाह रहे हैं। घर बैठे महाकुंभ, प्रवचन आदि का लाभवेबसाइट से उठाया जा सकता है। डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट काम 1008 महाराज.................को इन्टरनेट पर खोजकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।


                                      आधुनिकतम युग में सिर्फ साधु सन्तों की पोशाक ही पुरानी है। उन्होंनेअपनी भाषा भी बदल जी है। प्रवचन के पीछे अंग्रेजी में ज्ञान गंगा बाहाई जाती है,लेकिन धार्मिक साधनों का पवित्रीकरण करने के बाद भी वहीं पुराने, रूढिवादी,कट्टरपंथी, दकियानुसी अंधविश्वास बढाने वाले विचार जब आधुनिकतम साधनों द्वारा दिये जाते हैं तो लगता है कि विचारों का भी पवित्रीकरण होना चाहिए।


                                                           समाज की आवश्यकतानुसार धार्मिक विचारों का प्रचार-प्रसार प्रवाह होनाचाहिए, क्योंकि धर्म ही वह शक्कर है जो आदमी के गले जल्दी उतरती है। धर्म हीवह तीर है जो आदमी के दिमाग मंे जल्दी निशाना बनाता है। धर्म ही वह बूटी हैजो आदमी को जल्दी चैतन्य करती हैं धर्म ही वह पाठ है, जिसे आदमी जल्दीपढता है। धर्म ही वह अफीम है जो आदमी का जहदी नशा उतारती है।

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