Thursday, June 13, 2013

वेलेन्टाइनडे कानून

                वेलेन्टाइनडे कानून

                    भूमिका
        हिन्दी गद्य में व्यंग्य एक शैली के रूप में पिछले 50 वर्षो में इतनी तीव्रता से प्रति स्थापित हुआ कि सब उसकी प्रगति से चौकन्ने हो गये । यद्यपि व्यंग्य के जन्मदाताओं में  कबीर का नाम सर्वप्रथम लिया गया है तथापि भारतीय भाषाओं में कबीर के समकालीन और भी लेखक हुये हैं जिन्होने समाज में फैली विसंगतियों, धार्मिक दुराचरण, अत्याचार, अनाचार आदि से समाज को हानि पहुंचाने वाले तत्वों पर वक्रोक्तियों के माध्यम से करारे व्यंग्य बाण छोड़कर समाज को तिलमिला दिया । सफेद पोशों की कलई खोलकर रख दी । सही अर्थो में कबीर और व्यंग्यकारों ने समाज के दुश्मनो के चेहरो पर चढ़े मुखौटों को उतारकर उनके सही चेहरे, चाल और चरित्र को उजागर किया ।
        वर्तमान हिन्दी साहित्य मेें व्यंग्य को स्थापित करने वालों में मध्य प्रदेश के श्री हरिशंकर परसाई एंव शरद जोशी का नाम बड़े आदर के साथ लिया गया है । उनका लेखन इतना लोकप्रिय हुआ कि समाचार  पत्र और पत्रिकाओं ने नियमित कॉलम स्थापित किये और उन्हें बड़े सम्मान के साथ प्रकाशित किया । स्वतंत्र भारत में जिस गति से समाज, शासन और व्यक्ति का चारित्र पतित हो रहा था उसे रोकने टोकने वाला शायद कोई नहीं था । इसलिये अच्छे खासे कथाकार श्री परसाई और शरद जोशी ने अपनी लेखनी को व्यंग्य की और मोड़ दिया । आज उनका सोपा बिरवा पुष्पित पल्लवित होकर ऐसा लहलहा रहा है कि हिन्दी साहित्य में व्यंग्य लेखकोेेे की बाढ़ सी आ गई है ।
        नई पीढ़ी के व्यंग्यकारों में श्री उमेश कुमार गुप्ता एक प्रखर व्यंग्यकार माने जाते हैं । उन्होने समाज में फैल रही विसंगतियों पर अपनी लेखनी से तीव्र प्रहार किये हैं । ‘‘ वेलेन्टाईनडे कानून’’  उनके ऐसे ही पैने व्यंग्यों का संग्रह है जिसे पढ़कर अपने संस्कारों और संस्कृति से च्युत, कर्तव्यभ्रष्ट दुराचारी,नारी शोषक, अंधविश्वासी, प्र्रपंचियों आदि के चेहरों से नकाब उतर जायेगें । संक्षेप मेें इतना ही कहना चाहूंगा कि इन व्यंग्यों को पढ़कर ही इनका स्वाद चखा जा सकता है । आशा करता हूॅ कि लेखक की इस कृति का पाठकगण गर्मजोशी के साथ स्वागत करेगें।

                                बटुक चतुर्वेदी
                            प्रसिद्ध साहित्यकार भोपाल

           

लेखक की  कलम से

        व्यंग्य लेखन से मेरा उद्देेश्य लोगों का मजाक उड़ाकर उन्हें हसी का पात्र बनाकर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करना नही है । समाज में कुछ ऐसी बातें व्याप्त है, जो आम आदमी ठगे जाने के बाद भी समझ नहीं पाता है और दिन प्रतिदिन पिसता जाता है । ऐसी बातों को अपने लेखों ओैर व्यंग्यों के माध्यम  से लोगों तक पहुंचाना ही मेरा उद्देश्य रहा है ।
        इसके अलावा ऐसे लोगों को भी दर्पण दिखाना रहा है जो छल कपट चोरी ,बेईमानी करने के बाद भी समझते है कि उन्होने कुछ नहीं किया है और उनके बारे में लोगों को कुछ नहीं मालूम है, जबकि समाज में इसके विपरीत उल्टा असर रहता है ।
        हमारा भारतीय समाज दहेज प्रथा, जातिप्रथा, धार्मिकता, अंधविश्वास, गरीबी, बेकारी आदि आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, बुराईयों से ग्रस्त है, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित, देश का आम आदमी है और आम आदमी को ही अपने लेखों का नायक बनाकर प्रायः व्यंग्य लिखे गये हैं । जिसमें अधिक से अधिक समस्याओं को हल सहित उठाये जाने का प्रयास किया गया हैं।
        आस पास में व्याप्त विषमताओं चेहरे पर चेहरे लगाये, रंग बदलते चेहरे को देखकर उन्हें सरल सीधे शब्दो में बिना लाग लपेट के व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है और व्यंग्य ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा अपने और अपनो पर चोट करके लोगो को समझाया जा सकता है ।
        मुझे व्यंग्य लेखन की प्रेरणा संत कबीर, हरिशंकर, परसाई, चाणक्य, जैसे महान लोगों से मिली है ,जिन्होने अल्प शब्दो में  ही गाकर में सागर भरकर लोगों को सामाजिक विशेषताओं की ओर सोचने को मजबूर  किया है। मेरे द्वारा युवाओं में व्याप्त समस्याओं ,छेड़खानी, प्रेम, फिल्म के प्रति आकर्षण की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया है । वहीं प्रदूषण, मंहगाई, इलाज, बीमारी ,गरीबी के कारणो की तरफ भी लोगों का ध्यान खींचा गया है । नारी जाति में व्याप्त समस्याओं पर विचार किया गया है और समाज में व्याप्त दोहरे मापदंड आर्थिक विषमताओं का उल्ल्ेाख किया है।
        बी.एस.सी. एम.ए. (अर्थशास्त्र) में करने के बाद पत्राचार में पत्र कारिता का एक वर्ष का कोर्स और उसके बाद एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की और इस बीच कई लेख, वयंग्य,फीचर,निबंध देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए और समस्थाओं द्वारा पुरूष्कृत भी किये गये । उसके बाद वेलेन्टाइन-डे-कानून के रूप में लोगों के मध्य किताब के रूप में आने का पहला प्रयास है
                    
    

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