Friday, May 17, 2013

शार्ट क ट


                              शार्ट क ट
हमारी विचारधारा, मानसिकता, कार्यप्रणाली सोचने समझने की शक्ति की
तरह शार्टकट, छोटा रास्ता, छिद्रमय रास्ता संकीर्ण रास्ता, संकरा रास्ता, हमारा प्रियरास्ता है। इसी कारण हम गू-मूत्र , मेले-कुचलै, गन्दगी-कीचड, जान-जोखिम सेभरे रास्ते से गुजरने मंे कोई परहेज नहीं करते है। शार्टकट रास्ते का उपयोग करतसमय हम सारी पंडिताई, साफ सफाई, डॉक्टरी सलाह भूल जाते हैं। उसे तीर्थरास्ते की तरह बडी श्रद्धा के साथ पार करते है। यदि जान बच गई तो भगवान
भरोसे नहीं तो गाली देने की ‘व्यवस्था‘ तो उपलब्ध रहती है।


आपने देखा होगा कि रेल्वे स्टेशन में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेट फार्म पर
जाने के लिए एक लम्बे पुल के ऊपर से गुजरना पडता है। जिसमें समय, मेहनत,
ताकत , पैसा लगता है। लेकिन हम उस सुविधाजनक, आरामदायक, रास्ते से न
जाकर शार्टकट अपनाते हैं, और मलमूत्र की गन्दगी भरी पटरियों को जान जोखिममें डालकर पार करते है।


इसी प्रकार रास्ते में भी चलते समय पेटंोल-डीजल बचाने के इरादे से बडे
- बडे वाहन धारी अपने लाखों की गाडियों को कच्चे, संकरे, कमजोर, रास्तों पर
दौडाकर अपनी जान जोखिम में डालते है, और फुटपाथ, पैदल रास्तों पर स्कूटर ,सायकल, रिक्शा चलकर अपने वाहन दौडाकर चक्का जाम दुर्घटना का तांडव करतेहैं।

दुनिया में जितने शार्टकट रास्ते भारत में देखने को मिलते हैं, उतने किसी
भी देश में देखने को नहीं मिलते हैं। बांध की पुलिया, पानी के बीच में पडे बांध के
पत्थर , टूटे पाइप, क्षतिग्रस्त पुलिया, निर्माणाधीन पुल, नाला पोखर, डेंनेज ,
सीवर, चाहर दिवारी आदि जितनी भी गन्दगी प्रधान जगह हैं सब शार्टकट रासते
के रूप् में बडी सफाई से उपयोग में लाई जाती है।


यदि लोहे का फ्रेम लगाकर या ईंटों से दीवार बन्द कर दी जाये तो उसे भी
चूहे और मूसों की तरह खोदकर रास्ता बना दिया जाता हैं उसके बाद जानवरों कीतरह रेंगकर रास्ता पार किया जाता हैं । सडकों के बन्द रहते-रहते लाइन के पुलोंको ही गाडी सहित वीर शिवाजी की तरह पार करते देखा जा सकता है।
संकीर्ण रास्ता पार करते समय लोगों को ‘नट‘ की तरह नाचते हुए देखा जा
सकता हैं जिस तरह बॉजीगर बांस लेकर तार के ऊपर चलता है, उसी हुनर के
साथ नदी में पडे बीच पत्थरों पर से रास्ता पार किया जाता है। इन छिद्रमय रास्तोंसे पार होते लोगों को देखकर बडे-बडे जादूगर अपनी बॉजीगर भूल जाते हैं।
संकरे रास्ते के उपयोग का दोष लोग एक-दूसरे पर मढते हैं, और उसने
पार किया, इसलिए उसे देखकर वह पार कर रहा कहकर ‘कुएं में डूबने वाले ‘
मुहावरे की याद दिलवाते हैं। यदि कोई दुर्घटना घट जाये तो दोष दसरे पर मढ
देते हैं।

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