Thursday, October 31, 2013

आस्था और अंधविश्वास

   आस्था और अंधविश्वास

        हमारे देश में टोना-टोटका, काला जादू, तंत्र-मंत्र, बुरी नजर उतारने, खजाना प्राप्त करने, पुत्र/अचानक धन प्राप्ति हेतु उच्च पद प्राप्त करने, मंत्री-संतरी बनने आदि शुभ और मंगल कार्य और कामनाओं के लिये लोग बाबा, बैरागियों, तांत्रिकों, ओझा, पंडितों के जाल में फंसते हैं और फिर उनके बहकावे में आकर ठगे जाते हैं।

        लोगों को झाड़-फूक, तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका के नाम पर रूपये, पैसे सोना-चांदी से ठगा जाता है। हमारे देश में सबसे ज्यादा स्त्रियाॅ अन्धविश्वास की शिकार होती है और वही सबसे ज्यादा इसके   होती है उनका का शारीरिक, मानसिक शोषण होता है, उनके साथ वैश्या जैसा व्यवहार किया जाता है, उसके बाद भी अन्धश्रद्धा, अन्धभक्ति, अन्धविश्वास के जाल में फंसकर व्यक्ति अपना सर्वस्व लूटा देते हैं।

        हमारे देश में बहुत से पाखंड चन्द, नौटंकीराम, झासाराम, तमाशाराम मौजूद हैं, जो दुराचार की सीमा लांघ कर भी साधु, संत-सन्यासी का चोला धारण किए हुए हैं। जिन्हें आज भी देश की भोली-भाली अंधविश्वासी जनता का ही वरदहस्त प्राप्त नहीं हैं, बल्कि देश के बड़े राजनेता, उद्योगपति भी पाखंड की लाखों की भीड़ में यशगान, स्तुति, गुणगान, प्रशंसा करते नजर आते हैं, जिससे इनका खुलेआम प्रचार प्रसार होता है। वे भी आम लोगों को इनके नाम का प्रयोग धमकाने, चमकाने, डराने के लिये करते हैं उन सन्यासियों का खुलेआम चैलेन्ज रहता है, कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, सत्ता भी उनके चरण स्पर्श करती हैं।

        हमारे देश में केन्द्र स्तर पर कोई एन्टी मैजिक कानून नहीं है। अंधविश्वास से समाज को मुक्त कराने के लिये इस प्रकार के कड़े कानून देश में लागू होना चाहिए। भूत-प्रेत, जंतर-मंतर जैसे अंधविश्वास के तहत हजारों नरबली दी जाती हैं, महिलाओं का यौन शोषण होता है। लोगों के साथ आस्था के नाम पर अंधविश्वास फैला कर लोगों को लूटा जाता है।

        डाॅ0नंदनी दालोनकर और उसके साथ अन्य समाजसेवियों के द्वारा अंधविश्वास के विरोध करने का प्रयास कर लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने का संदेश दिया गया जिससे डाॅ0दालोभकर की हत्या की गई जो इस बात को दर्शाता है, कि हमारा समाज अभी भी अंधविश्वास और तंत्र मंत्र से ग्रसित हैं।

        हमारे देश का समाज इससे अशिक्षित वर्ग तो प्रभावित है और लिखे पढ़े नेता अभिनेता इससे अछूते नहीं हैं वे भी गण्डे ताबीज बांधते हैं और दोनों हाथों की 10 अंगुलियों में पहने देखा जा सकता है।

        समाज में लोगों के मध्य जनसंचार के माध्यम टेलिविजन से प्रचार प्रसार किया जाता है। लोगों को लक्ष्मीयंत्र, कुबेर की चाबी,   आदि वस्तुएॅ विक्रय की जाती है। जो टी0व्ही0 चैनल दिन में अंधविश्वास का विरोध प्रसारित करते हैं, रात में वहीं चैनल ऐसे अंधविश्वास , बाबाओं की निर्मल वाणी प्रसारित करते हुए देखे जा सकते हैं। राम की आशा में ऐसे पंडितों के द्वारा धारा प्रभाव अंधविश्वास पर आधारित प्रवचन, भजन, कीर्तन आदि के कार्यक्रम दर्शाये जाते हैं, जिससे दुखी और पीडि़त लोगों में बनावटी खौफ पैदा करके लोगों को अंधविश्वास की ओर आकर्षित करते हैं।

        हमारे देश में तंत्र-मंत्र, जादू टोना पूर्व की तरह आज भी लगातार जारी है जबकि हमारे धर्मग्रन्थों में अंधविश्वास नहीं है वे वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित सिद्धांतों की व्याख्या करते हैं, इसी कारण भारतीय पद्धति को दुनिया ने अपनाया है, लेकिन हमारे धर्म गुरू इन्हीं धर्म की आड़ में अंधविश्वास फैलाते हैं।

        आज वैज्ञानिक युग में यह प्रमाणित हो चुका है, कि अंधविश्वास, जादू टोना-टोटका केवल मन का भ्रम है। भूत-प्रेत, चुड़ैल, चुड़ैल, डायन मन की कमजोरी है। लेकिन इसके बाद भी लोग झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर अपना जीवन बर्बाद करते हैं, इसके लिये आवश्यक है, कि स्कूल, कालेजों के माध्यम के पाठ्यक्रम में उसे शामिल किया जावे। सार्वजनिक रूप से इसका प्रभाव टी0व्ही0 जैसे जन संचार के माध्यम से रोका जावे और बाबाओं की निर्मल वाणी पर रोक लगाई जावे।

        हम देख रहे हैं, कि हमारे देश में अंधविश्वास देश को नर्क की ओर ले जा रहा है इसलिए देश में व्याप्त पाखंडियों को उखाड़ फेंकने की आवश्यकता आज भी जिस महिला का शोषण करना होता है तो उसे घर से निकाल दिया जाता है और उसके साथ यौन शोषण किया जाता है। हमारे समाज में सबसे ज्यादा महिला अंधविश्वास की शिकार होती है और वही सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, ग्रह-नक्षत्र, राशि-चक्र, भाग्य-भविष्य, आत्मा-परमात्मा, पुनर्जन्म-अवतारवाद, ज्योतिष-लाल किताब आदि को भारत में बुद्धीजीवी मान्यता प्रदान करते हैं। 

        अंधविश्वास को ईश्वर की आड़ में फैलाया जाता है। अमावस्या और पूर्णिमा को तांत्रिकों की पंचायत बैठती है। उल्लू का खून चढ़ाकर लक्ष्मी को खुश किया जाता है। पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में हर घटनाक्रम को अंधविश्वास से जोड़ा जाता है। संकट दूर करने का     किया जाता है।
      

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