हैप्पी भारत
हमारा देश दुनिया का सर्वाधिक हैप्पी बर्थ डे मनाने वाला देश है।हमारे यहां हर साल एक अरब से ज्यादा और प्रतिदिन लगभग बीस हजार हैप्पीबर्थ डे मनाये जाते हैं इसके अलावा हर दिन कोई न कोई हैप्पी दीवाली, हैप्पीहोली, हैप्पी ईद, हैप्पी मदर डे, हैप्पी वेलेन्टाइन डे, हैप्पी राखी, हैप्पी दूज मनायाजाता है। साल के 365 दिन हैप्पी मनाने के लिए कम पड जाते हैं। इसलिए देश
को ‘हैप्पी भारत‘ कहा गया है।
हमारा रोज कोई न कोई हैप्पी से सामना हो जाता है और उस हैप्पी में हमअपना सब दुख दर्द नेता दर्शन की तरह भूल जाते हैं। हमारे देश के कर्णधार भीहैप्पी में विश्वास रखते हैं और आजादी की वर्षगांठ गणतंत्र दिवस पर हैप्पी संदेश
देना नहीं भूलते हैं।
देश में हर हैप्पी को व्यक्त करने ग्रीटिंग कार्ड मिलते हैं। यदि आपकोअंग्रेजी लिखना-पढना न आता हो तब भी आप दुकान से पांच-दस रूपये खच्र कर
एक अच्छा सा हैप्पी कार्ड लाकर अपना अंगूठा छाप होने का गम दूर कर सकते
हैं।
हम सूचना क्रांति के दौर में जी रहे हैं फोन मिलाकर हैप्पी कर सकते हैं,गिफ्ट भेजकर हैप्पी दुगनी कर सकते हैं। मुंह से बोलकर हैप्पी तीन गुुना कर
सकते हैं। लेकिन ग्रीटिंग कार्ड, एस.एम.एस मिलने पर जो हैप्पी होती है, उसकीकोई तुलना नहीं है।
एस.एम.एस. ग्रिटिंग कार्ड सौ गुना हैप्पी कर देते हैं। क्योंकि कार्डएस.एम.एस. सनद् रहे, वक्त जरूरत काम आने वाले लिखित रूक्का रहता है। कभी
अनहैप्पी होने पर प्रेमीका द्वारा प्रेमी पर, चमन द्वारा अधिकारी पर, जनता द्वारा नेतापर किसी जादूगरनी ,चुडैल भाई भतीजावाद, बेईमानी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार केचक्कर में पडकर मुंह फेरने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है।
हम ग्रीटिंग मोबाइल कार्ड मोबाइल, एस.एम.एस., ई मेल, फैक्स संस्कृति केदौर मंे जी रहे हैं। ये कार्ड हमारे दिल की बात, मन के शब्द, चित्र और संदेश द्व
ारा व्यक्त कर देते हैं। हमें सिर्फ कार्ड खरीदना रहता है, बाकि सब काम करने का
ठेका विदेशी कार्ड बेचने वाली कंपनियों ने ले लिया है, जो आपका स्वस्थ संदेश‘विदेशी शालीन चित्र‘ के माध्यम से अभिव्यक्त कर देती है।
स्वदेशी उदारीकरण के इस युग में अन्तर्राष्टंीय, विदेशी बहुराष्टंीय कंपनियोंने देश का आर्थिक-सामाजिक विश्लेषण अच्छे से कर लिया है। उन्हें पता चलगया है कि संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, एकाकी परिवार बढ रहे हैं। पारिवारिक विघ्
ाटन का दौर चल रहा है। वृद्ध माता-पिता परिवार के लिए बोझ साबित हो रहे है।
ऐसी स्थिति में उनके मरने के बाद ‘‘ वेरी सॉरी बट हैप्पी तेरहवी‘‘ वाले कार्ड कीबहुत मांग है। अतः ऐसे हैप्पी कार्ड भी हैप्पी भारत में हैप्पी बढाने के लिये देखनेको मिल सकते हैं।
हमारा देश दुनिया का सर्वाधिक हैप्पी बर्थ डे मनाने वाला देश है।हमारे यहां हर साल एक अरब से ज्यादा और प्रतिदिन लगभग बीस हजार हैप्पीबर्थ डे मनाये जाते हैं इसके अलावा हर दिन कोई न कोई हैप्पी दीवाली, हैप्पीहोली, हैप्पी ईद, हैप्पी मदर डे, हैप्पी वेलेन्टाइन डे, हैप्पी राखी, हैप्पी दूज मनायाजाता है। साल के 365 दिन हैप्पी मनाने के लिए कम पड जाते हैं। इसलिए देश
को ‘हैप्पी भारत‘ कहा गया है।
हमारा रोज कोई न कोई हैप्पी से सामना हो जाता है और उस हैप्पी में हमअपना सब दुख दर्द नेता दर्शन की तरह भूल जाते हैं। हमारे देश के कर्णधार भीहैप्पी में विश्वास रखते हैं और आजादी की वर्षगांठ गणतंत्र दिवस पर हैप्पी संदेश
देना नहीं भूलते हैं।
देश में हर हैप्पी को व्यक्त करने ग्रीटिंग कार्ड मिलते हैं। यदि आपकोअंग्रेजी लिखना-पढना न आता हो तब भी आप दुकान से पांच-दस रूपये खच्र कर
एक अच्छा सा हैप्पी कार्ड लाकर अपना अंगूठा छाप होने का गम दूर कर सकते
हैं।
हम सूचना क्रांति के दौर में जी रहे हैं फोन मिलाकर हैप्पी कर सकते हैं,गिफ्ट भेजकर हैप्पी दुगनी कर सकते हैं। मुंह से बोलकर हैप्पी तीन गुुना कर
सकते हैं। लेकिन ग्रीटिंग कार्ड, एस.एम.एस मिलने पर जो हैप्पी होती है, उसकीकोई तुलना नहीं है।
एस.एम.एस. ग्रिटिंग कार्ड सौ गुना हैप्पी कर देते हैं। क्योंकि कार्डएस.एम.एस. सनद् रहे, वक्त जरूरत काम आने वाले लिखित रूक्का रहता है। कभी
अनहैप्पी होने पर प्रेमीका द्वारा प्रेमी पर, चमन द्वारा अधिकारी पर, जनता द्वारा नेतापर किसी जादूगरनी ,चुडैल भाई भतीजावाद, बेईमानी, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार केचक्कर में पडकर मुंह फेरने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है।
हम ग्रीटिंग मोबाइल कार्ड मोबाइल, एस.एम.एस., ई मेल, फैक्स संस्कृति केदौर मंे जी रहे हैं। ये कार्ड हमारे दिल की बात, मन के शब्द, चित्र और संदेश द्व
ारा व्यक्त कर देते हैं। हमें सिर्फ कार्ड खरीदना रहता है, बाकि सब काम करने का
ठेका विदेशी कार्ड बेचने वाली कंपनियों ने ले लिया है, जो आपका स्वस्थ संदेश‘विदेशी शालीन चित्र‘ के माध्यम से अभिव्यक्त कर देती है।
स्वदेशी उदारीकरण के इस युग में अन्तर्राष्टंीय, विदेशी बहुराष्टंीय कंपनियोंने देश का आर्थिक-सामाजिक विश्लेषण अच्छे से कर लिया है। उन्हें पता चलगया है कि संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, एकाकी परिवार बढ रहे हैं। पारिवारिक विघ्
ाटन का दौर चल रहा है। वृद्ध माता-पिता परिवार के लिए बोझ साबित हो रहे है।
ऐसी स्थिति में उनके मरने के बाद ‘‘ वेरी सॉरी बट हैप्पी तेरहवी‘‘ वाले कार्ड कीबहुत मांग है। अतः ऐसे हैप्पी कार्ड भी हैप्पी भारत में हैप्पी बढाने के लिये देखनेको मिल सकते हैं।
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