भारत में चुनाव सुधार
हमारा भारत दुनिया का सबसे बडा प्रजातांत्रिक लोकतंत्रात्मक गणराज है,जहां जनता के द्वारा जनता के लिए जनता में से प्रतिनिधि चुने जाते हैंइसके लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव आयोजित किये जाते है । जिसके लिए भारतके संविधान के अनुच्देछ 324 से 329 में चुनाव आयोग की स्थापना की गई हैजिसका कार्य चुनाव का पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण कर भारत मेंचुनाव सम्पन्न कराना हैं ।
इसके लिए चुनाव आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है । चुनावआयोग बिना किसी सरकारी दवाब के स्वतंत्र निष्पक्ष होकर कार्य करे इसलिएउसे स्वयतता प्रदान की गई है ।चुनाव आयोग का कार्य भारत मंे लोक सभा औरविधान सभा के चुनाव निष्पक्ष शीघ्रता से कराना है । इसलिए सम्पूर्ण भारतक्षेत्र में चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए गम्भीर चुनौती है ।
कश्मीर से कन्या कुमारी तक फैला 120 करोड से ज्यादा भारतीयों वालााविशाल भारतीय क्षेत्र विभिन्न जाति, धर्म, भाषा के करोड़ों लोगो में बटंा
हुआ है । हर चार कदम पर बोली और रहन सहन में परिवर्तन आ जाता है । जाति,धर्म, भाषा, वेशभूषा परिवर्तित हो जाती है, जहां पर एक समय पर एक ही जगहपर अनेक सामाजिक, आर्थिक, भोगोलिक असमानता देखने को मिलती है । ऐसेइन्द्रधनुषीय विविधता वाले भारत देश में जहंा गाय और सुअर के कटने पर
लाखों लोग सम्प्रदायिकता के नाम पर दंगे फसाद कर अपना गला कटवाने तैयार
हो जाते हैं । ऐसे संवेदनशील देश में जहां एक भगवान जो राम रहीम विक्टर
के नाम पर हजारों देवी-देवताओं, संत पुरूषों, महात्माओं, बाबा-बेरागियों
में बटां हुआ है वहां पर चुनाव आयोग के द्वारा स्वतंत्र निष्पक्ष,
निर्भीक चुनाव कराना एक विकट समस्या है ।
हमारे देश में सीधे जनता संवैधानिक मुखिया प्रधान मंत्री ,राष्ट्पति,
राज्यपाल, को नहीं चुनती है बल्कि जनता के चुने हुए जन प्रतिनिधि उन्हें
चुनते हैं । इस प्रकार जनता सीधे देश के मुख्य जनप्रतिनिधियों को नहीं
चुनती है बल्कि देश के जो सर्वेसर्वा होते हैं उन्हें जनता के चुने
जनप्रतिनिधि ही चुनते हैं। इस प्रकार हमारे देश में प्रतिनिधि लोकतंत्र
अथवा अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है । जहां पर जनभागीदारी के आधार पर सार्वजनिक
मामलों में आम जन नागरिकों की सक्रीय भूमिका रहती है ।
हमारे देश मेंचुनाव सुधारों की अत्यधिक आवश्यकता है जिसके लिए सर्व प्रथम प्रत्येकव्यक्ति के लिए मतदान किया जाना अनिवार्य होना चाहिए । प्रत्येक व्यक्तिका नाम उसके व्यस्क होते ही अपने आप मतदाता सूची में आ जाना चाहिए ।प्रत्येक व्यक्ति मतदान करे इसके लिए जरूरी है कि इन्टरनेट से वोटिंग कीसुविधा दी जाये । प्रत्येक व्यक्ति को उसका गोपनीय कोड देकर इन्टरनेट सेवोटिंग कराई जाये ।
प्रत्येक व्यक्ति मताधिकार का प्रयोग करे इसके लिए जरूरी है कि बहुत
छोटे छोटे पोलिंग बूथ बनाये जाये । मोहल्ले-मोहल्ले, गंाव-गांव एक हजार
की जनसंख्या पर एक पोलिंग बूथ बनाया जाये ताकि लोगों को ज्यादा आवागमन परखर्च न करना पडे और उनके व्यापार, व्यवसाय, कार्य में बाधा न पहंुचे ।
बहुत कम समय में उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करने का समय मिल जाये ।
इसके लिए आवश्यक है कि चुनाव आयोग अपने नियंत्रण, निर्देशन पर्यवेक्षणमें स्वतंत्र निष्पक्ष, निर्भीक, बेखौफ, चुनाव सम्पन्न कराये, परन्तु
चुनाव आयोग के समक्ष चुनाव सम्पन्न कराते समय काले धन का प्रयोग, सरकारी
तत्रं का दुरोपयोग, फर्जी मतदान, मतदाता सूची में हेरफेर, बलपूर्वक
मतदान, धन बाहूबल के आधार पर वोटिंग आदि समस्याएं हैं जिनका सामना चुनावआयोग को करना पडता हैं ।
चुनाव आयोग को चुनाव के समय फर्जी वोटिंग रोकने के लिए अत्याधिकसैन्यबल की आवश्यकता पडती है जो समय पर जनसंख्या के अनुपात के आधार परप्राप्त नहीं हो पाते हैं और इस कारण बाहूबल के आधार पर नेता लोग जनता कोडरा धमकाकर बूथ केप्चरिंग करके मतदाताओं को लोभ लालच देकर वोट की खरीद करजबरदस्ती नोट और डंडे के आधार पर वोट अपने पक्ष में डलवाते हैं। जिसेरोकना अति आवश्यक हैं । इसके लिए जरूरी है कि जनता संरक्षण प्रदान कियाजाये । उन्हें पर्याप्त सैन्यबल प्रदान किया जाये ।
चुनाव में काले धन का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है और निर्धारित सीमासे अधिक धन चुनाव मे खर्च किया जाता है । जिसके कारण मतदाता प्रभावितहोते हैं और दोष पूर्ण वोटिंग होती है। इसके लिए जरूरी है कि शासकीय
खर्चे से चुनाव सम्पन्न कराये जाये । सरकार द्वारा ही चुनाव साधन और
सामग्री प्रदान की जाये। अति आधुनिक साधनों का प्रयोग चुनाव में किया
जाये । इन्टरनेट, टेलीवीजन, सोशलनेटवर्किंग साइड से चुनाव प्रचार-प्रसार
की अनुमति दी जाये ।
चुनाव के समय सत्ताधारी दल के लोग सरकारी मशीनरी का दुरोपयोग करते हैंऔर शासकीय, सेवक, सामग्री, साधन का उपयोग अपने पक्ष में वोट डलवाने केलिए करते हैं । शासकीय साधनों से ही आना जाना करते हैं । शासकीय धन काप्रयोग चुनाव में किया जाता है । जिसे रोकना एक गम्भीर चुनौती है । इसकेलिए जरूरी है कि जो लोग सत्ताधीन हैं वे चुनाव में सक्रिय भाग न ले । यदिउन्हें भाग लेना है तो वे शासकीय पदों से इस्तीफा देकर चुनाव प्रक्रियामें भाग ले ।शासकीय मशीनरी-तंत्र व्यक्ति का उपयोग चुनाव में बिलकुल न
किया जाये ।
चुनाव के समय दोषपूर्ण मतदाता सूचियों से वोट डाले जाते हैं । एक हीव्यक्ति का नाम कई स्थान में रहता है और वह एक जगह वोट डालता है उसकी जगहदूसरे व्यक्ति वोट डालते हैं । इसलिए एक मतदाता सूची में पूरे देश में
होना अनिवार्य है इसके लिए उसका कम्प्यूटरी करण किया जाना आवश्यक है ।
मतदाता सूची के साथ उसका फोटो होना चाहिए । अलग से पहचान पत्र की जरूरतनही पडेगी ।
हमारे देश मंे प्रत्येक व्यक्ति को विधि के समक्ष समता और समानता कामूल अधिकार दिया गया है । लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के वोट की कीमत एक सी
है । चाहे वह व्यक्ति आशिक्षित होेेे, अद्र्वशिक्षित हो, अल्प शिक्षित
हो, पूर्ण शिक्षित हो सभी के वोट की वेल्यू एक सी है, जो संवैधानिक
अधिकारों के विपरीत है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के वोट की कीमत उसकी
शिक्षा और समझदारी के आधार पर होनी चाहिए और इसी आधार पर वोट की गणना कीजानी चाहिए ।
यही कारण है कि हमारे यहां अशिक्षित कम पढे लिखे, दागी, गुण्डे किस्मके व्यक्ति चुनकर आ जाते हैं क्यों कि उन्हें वोट देने वाले अशिक्षित
होते हैं जो उनकी कार्य प्रणाली से पूर्णतः वाकिफ नहीं होते हैं और उनके
धन, जन, बल, के प्रयोग में आ जाते हैं । इस असमानता को दूर करने के लिए
संविधान में दी गई अनुच्छेद 14 से 16 तक में दी गई समानता को लागू किया
जाना अतिआवश्यक है ।
जिस प्रकार चुनकर भेजते हैं उसी प्रकार हमें चुने हुए व्यक्ति को वापिसबुलाने का चुनावी अधिकार प्राप्त होना चाहिए । जब हम किसी व्यक्ति को
चुनते हैं और वह जिन वादे, नीति क्रिया किलाप और आश्वासनों के साथ जनता
से वोट प्राप्त करते हैं और उस क्षेत्र विशेष की जनता उसके एक साल बाद
किये गये कार्य से खुश नहीं हो तो चुने जाने के एक साल बाद उस क्षेत्र
विशेष की जनता को उस व्यक्त् िको वापिस बुलाये जाने का अधिकार प्राप्त
होना चाहिए परन्तु यह अधिकार केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त होना
चाहिए जिन्होनंे उसे वोट दिया है ।
ऐसी दशा में यदि यह व्यवस्था की जाती है तो जन प्रतिनिधि जनता से कियेगये वादों के अनुसार कार्य करेंगे और उन्हें सदा यह भय बना रहेगा कि
उन्होने जनता के विपरीत कार्य किया तो वह जनता के बीच वापिस बुलाये जा
सकते हैं ।
चुनाव में चुने जाने के बाद जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र विकास के लिए
करोडो रूपयों की शासकीय धनराशि प्रदान की जाती है जिसका प्रायः अपने भाईभतीजों को ठेका नीलामी आदि कार्य देकर दुरोपयोग किया जाता है । इसके लिएजरूरी है कि चुने जाने के बाद जो शासकीय निधि जन प्रतिनिधियों को प्रदान
की जाती है उसमें से किये गये कार्य एंव उस पर खर्च किया गया प्रत्येक
विवरण को वे जनता के समक्ष अपनी व्यक्तिगत सोशलनेटवर्किंग साइड में
दर्शाए ताकि प्रत्येक व्यक्ति उनके द्वारा किये गये कार्य की जांच कर सके
।
इसके साथ ही साथ चुनाव के पूर्व सम्पत्ति का विवरण परिवार के सदस्योंकी चल अचल सम्पत्ति आदि का विवरण उसमें ही प्रस्तुत किया जाये और चुनावजीतने के बाद प्रतिवर्ष सम्पत्ति में हुए बढोतरी का विवरण प्रदर्शित कियाजाये ।
हमारे संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई
है इसके लिए जरूरी है कि उस व्यक्ति के पसंद का जनप्रतिनिधि चुना जाये
इसके लिए व्यक्ति को उसके क्षेत्र के अनुसार जनप्रतिनिधि चुनने की
स्वतंत्रता दी जाये । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त होना
चाहिए कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति को वोट दे और यदि उस क्षेत्र विशेष के
व्यक्ति को उस क्षेत्र विशेष में खडे व्यक्ति से ज्यादा वोट देते हैं और
उसके वोट की संख्या नामाकन भरेे हुए व्यक्तियों से अधिक आती है तो ऐसे
जनता के व्यक्ति को जनता के द्वारा चुना हुए मानकर बिना निर्वाचक नामाकन
पत्र भरे उसे चुना हुआ घोषित किया जाना चाहिए । इस प्रकार की व्यवस्था
संविधान में शामिल होना अति आवश्यक है ।
इसके लिए जरूरी है कि सरकार प्रत्येक जनप्रतिनिधि को निशुल्क इन्टरनेटसुविधा प्रदान करे और उसे निशुल्क अपनी बेवसाइट द्वारा व्यक्तिगत विवरणशासकीय खर्चे से प्रत्येक व्यक्ति के लिए इन्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध
कराये जाने की व्यवस्था की जाये।
चुनाव में धन, सरकारी पद और लोगों के समय में बरबादी न हो इसके लिएजरूरी है कि लोक सभा विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय के चुनाव एक साथकराये जाये और एक ही मतपत्र को विभिन्न संस्थाओं में चुने जाने के लिए
जनप्रतिनिधि को चुने जाने की व्यवस्था की जाये । इससे धन का दुरोपयोग
रूकेगा और लोग रूचि पूर्वक चुनाव में भाग लेंगे । चुनाव बोझ नहीं बल्कि
एक शासकीय समारोह लगेगा ।
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