:ः सहिष्णुता:ः
सहिष्णुता एक शक्ति है जिसका शाब्दिक अर्थ सहन करने की शक्ति, क्षमा करने की शक्ति, सहारा देने की शक्ति है। इस प्रकार यह एक ऐसा मानवीय गुण है जो व्यक्ति, संस्था, समाज में पाया जाता है। जिसमें अहिंसा, परोपकार, नेकी आदि शामिल हैं।
सहिष्णुता मानवीय आचरण से संबंधित एक शक्तिशाली गुण है। लेकिन जब इसे धर्म, जाति, राजनीति से जोड़ा गया है, तब इसका रूप बदल गया है और यह असहनशील, अनुदारता, असहनीय व्यवहार, किसी बात को सुनने समझने की शक्ति न होना, अपने से विपरीत विचारों को समझने की क्षमता न होना और विचारों की भिन्नता को स्वीकार न करने से वह आचरण असहिष्णुता कहलाने लगा है।
अंग्रेजी में टालरेंस का शाब्दिक अर्थ सहिष्णुता बताया जा रहा है और इनटालरेंस को असहिष्णुता बताया जा रहा है। इसमें जब एक वर्ग देशभक्ति, आतंकवाद विरोधी बातें करता है तो दूसरे वर्ग के लिये वह बात असहिष्णुता की श्रेणी में आ जाती है और जब एक वर्ग असमानता, वर्ग विभेद, जाति भेदभाव का विरोध करता है तो दूसरे वर्ग के लिये वह असहिष्णुता हो जाती है। इस प्रकार यह एक विचारों की भिन्नता है जिसे आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता है।
लेकिन इन सब असमानताओं के बाद भी देशभक्ति, आतंकवाद, जातिभेद, वर्ग विभेद, राष्ट्र भक्ति जैसे शब्दों के शाब्दिक अर्थ धर्म, जाति, राजनीति से बदल नहीं सकते हैं और इनकी आड़ में समाज कितने भी अर्थ-अनर्थ लगाये इन शब्दों से जुड़ी बातों को असहिष्णुता नहीं माना जा सकता है। जो व्यक्ति इनके समर्थन में है वह सहिष्णुता की समझ नहीं रखता है और जो व्यक्ति इनके विरोध में वह सहिष्णुता की समक्ष रखता है, यह माना जा सकता है।
इसलिये सहिष्णुता को किसी जाति, धर्म, भाषा, राजनीतिक दल, संस्था, सरकार से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये बल्कि इसे मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिये। एक जाति के लिये आरक्षण सहिष्णुता तो दूसरी जाति के लिये वह असहिष्णुता हो सकता है। इसी प्रकार देशभक्ति एक वर्ग के लिये सहिष्णुता तो आतंकवाद उसके लिये असहिष्णुता हो सकता है। लेकिन इससे देशभक्ति और आतंकवाद के अर्थ बदल नहीं सकते। जिसे आज वो धर्म, भाषा, जाति, राजनीति से जोड़कर बदलना चाहते हैं। इसलिये एक बात जो एक वर्ग के लिये सहिष्णुता वही बात दूसरे वर्ग के लिये असहिष्णुता की श्रेणी में आ रही है।
कुल मिलाकर अपने खिलाफ हो रही बातों को सहन न करने की शक्ति को असहिष्णुता माना जा रहा है। जबकि वह बातें देश, समाज, धर्म और वर्ग से जुड़ी होने के कारण सहिष्णुता की श्रेणी में आती हैं। जिन्हें सोचने, समझने और उनमें सुधार करने की जरूरत है।
सहिष्णुता एक शक्ति है जिसका शाब्दिक अर्थ सहन करने की शक्ति, क्षमा करने की शक्ति, सहारा देने की शक्ति है। इस प्रकार यह एक ऐसा मानवीय गुण है जो व्यक्ति, संस्था, समाज में पाया जाता है। जिसमें अहिंसा, परोपकार, नेकी आदि शामिल हैं।
सहिष्णुता मानवीय आचरण से संबंधित एक शक्तिशाली गुण है। लेकिन जब इसे धर्म, जाति, राजनीति से जोड़ा गया है, तब इसका रूप बदल गया है और यह असहनशील, अनुदारता, असहनीय व्यवहार, किसी बात को सुनने समझने की शक्ति न होना, अपने से विपरीत विचारों को समझने की क्षमता न होना और विचारों की भिन्नता को स्वीकार न करने से वह आचरण असहिष्णुता कहलाने लगा है।
अंग्रेजी में टालरेंस का शाब्दिक अर्थ सहिष्णुता बताया जा रहा है और इनटालरेंस को असहिष्णुता बताया जा रहा है। इसमें जब एक वर्ग देशभक्ति, आतंकवाद विरोधी बातें करता है तो दूसरे वर्ग के लिये वह बात असहिष्णुता की श्रेणी में आ जाती है और जब एक वर्ग असमानता, वर्ग विभेद, जाति भेदभाव का विरोध करता है तो दूसरे वर्ग के लिये वह असहिष्णुता हो जाती है। इस प्रकार यह एक विचारों की भिन्नता है जिसे आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता है।
लेकिन इन सब असमानताओं के बाद भी देशभक्ति, आतंकवाद, जातिभेद, वर्ग विभेद, राष्ट्र भक्ति जैसे शब्दों के शाब्दिक अर्थ धर्म, जाति, राजनीति से बदल नहीं सकते हैं और इनकी आड़ में समाज कितने भी अर्थ-अनर्थ लगाये इन शब्दों से जुड़ी बातों को असहिष्णुता नहीं माना जा सकता है। जो व्यक्ति इनके समर्थन में है वह सहिष्णुता की समझ नहीं रखता है और जो व्यक्ति इनके विरोध में वह सहिष्णुता की समक्ष रखता है, यह माना जा सकता है।
इसलिये सहिष्णुता को किसी जाति, धर्म, भाषा, राजनीतिक दल, संस्था, सरकार से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये बल्कि इसे मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिये। एक जाति के लिये आरक्षण सहिष्णुता तो दूसरी जाति के लिये वह असहिष्णुता हो सकता है। इसी प्रकार देशभक्ति एक वर्ग के लिये सहिष्णुता तो आतंकवाद उसके लिये असहिष्णुता हो सकता है। लेकिन इससे देशभक्ति और आतंकवाद के अर्थ बदल नहीं सकते। जिसे आज वो धर्म, भाषा, जाति, राजनीति से जोड़कर बदलना चाहते हैं। इसलिये एक बात जो एक वर्ग के लिये सहिष्णुता वही बात दूसरे वर्ग के लिये असहिष्णुता की श्रेणी में आ रही है।
कुल मिलाकर अपने खिलाफ हो रही बातों को सहन न करने की शक्ति को असहिष्णुता माना जा रहा है। जबकि वह बातें देश, समाज, धर्म और वर्ग से जुड़ी होने के कारण सहिष्णुता की श्रेणी में आती हैं। जिन्हें सोचने, समझने और उनमें सुधार करने की जरूरत है।
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